
शिक्षा
इन्होंने
अपनी प्रारंभिक शिक्षा वादनगर से की जहाँ वे एक औसत दर्जे के विद्यार्थी
थे किंतु अपने शिक्षकों से वाद विवाद करने के लिए जाने जाते थे. परास्नातक
की शिक्षा इन्होंने राजनीतिक विज्ञान में गुजरात विश्व विद्यालय से की.
व्यवसाय
युवा
अवस्था में यह अपने भाई के साथ चाय की दुकान लगाते थे, इसके बाद इन्होने
गुजरात राज्य सड़क परिवहन निगम की कैंटीन में भी 1970 तक काम किया.
1970 में यह आर एस एस के पूर्णकालिक प्रचारक बन गये.
संकटकाल के समय यह एबीवीपी के इंचार्ज थे.
1985 मे इन्होने भारतीय जनता पार्टी के सदस्य बने.
मुरली मनोहर जोशी की एकता यात्रा के दौरान ये सबकी नज़रों में आए.
1988 में मोदी बीजेपी के गुजरात इकाई के महा सचिव चुने गये.
1988 में ही इन्हे बीजेपी का राष्ट्रीय सचिव बना दिया गया.
7 अक्तूबर 2001 को मोदी गुजरात के मुख्य मंत्री बने.
27 फ़रवरी 2002 में इनके कार्यकाल में ही गोधरा कांड हुआ.
गोधरा
कांड की वजह से ही मोदी को अपने पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा. जिसा चुनाव में
बोजेपी को गुजरात विधानसभा चुनाव में 182 सीटों में से 127 सीटों की विजय
मिली थी.
2002-2007
के अपने दूसरे कार्यकाल में मोदी ने अपना दृष्टिकोण हिन्दुत्व से हटाकर
गुजरात के विकास की ओर केंद्रित किया. जिसके साथ ही राज्य में वित्त व
तकनीक पार्क शुरू हुए.
2007
में मोदी ने गुजरात के सबसे लंबे समय तक कार्यरत मुख्य मंत्री का रिकॉर्ड
कायम किया. जिस चुनाव बीजेपी वापस से एक भारी बहुमत अर्थात 182 मे से 122
सीटों के साथ सत्ता मे आई एवं मोदी पुनः गुजरात के मुख्यमंत्री पद पर आसीन
हुए.
इसके बाद 2012 के मतदान में बीजेपी फिर से मोदी के नेतृत्व में सत्ता में आई.
2013
में बीजेपी के संसदीय बोर्ड में मोदी को पार्टी का उच्च स्तर का
निर्णयकर्ता घोषित किया गया. इसके साथ ही आगामी आगामी चुनावी योजना के लिए
अध्यक्ष भी नियुक्त किया गया.
सितंबर 2013 में बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए उन्हे अपना प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित किया.
सम्मान व पुरस्कार
2009 में एफ़डीयाई मैगजिंन ने मोदी को एफडीआई पर्सनॅलिटी ऑफ द ईयर के सम्मान से नवाजा.
श्री पूना गुजराती बंधु समाज ने इन्हें गुजरात रत्न के सम्मान से सुशोभित किया है.
कंप्यूटर सोसायटी ऑफ इंडिया ने मोदी को ई-रत्न का सम्मान दिया.
2006 में इंडिया टुडे मैगज़ीन के राष्ट्रीय सर्वेक्षण में मोदी को सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्री घोषित किया.
2012 के टाइम मेगज़ीन के एशियाई संकरण में मोदी को कवर पृष्ठ पर स्थान दिया गया.
ई-प्रशासन
के लिए सीएसआई अवॉर्ड, आपदा कमी के लिए यूएन ससाकवा अवॉर्ड, कॉमनवेल्थ
असोसियेशन ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन एंड मेनेजमेंट की ओर से प्रशासनिक
नवीकरण अवॉर्ड, यूनेस्को अवॉर्ड.
उपलब्धि
नरेंद्र मोदी गुजरात के सबसे लंबे समय तक रहने वाले मुख्यमंत्री हैं.
पुस्तकें व प्रलेख
मोदी ने जो पुस्तकों की रचना की हैं- कन्वीनियेंट एक्शन: गुजरात’स रेस्पॉन्स टू चॅलेंजस ऑफ क्लाइमेट चेंज एवं साक्षीभाव.
नरेंद्र मोदी: द मैंन ये पुस्तक टाइम्स द्वारा मोदी पर है.
योगदान
गुजरात
के एकीकृत विकास के लिए इन्होने पाँच स्तरीय पांचामृत योजना की शुरुआत की.
वायबरेंट गुजरात नाम की योजना ने गुजरात को निवेश क लिए एक सर्वोत्तम
स्थानों की सूची मे ला दिया. 2013 की वायबरेंट गुजरात सम्मेलन ने पूरे
विश्व के 120 देशों के निवेश को आकर्षित किया.
शपथग्रहण समारोह में समस्त सार्क देशों को आमंत्रण
सर्वप्रथम विदेश यात्रा के लिए भूटान का चयन
ब्रिक्स सम्मेलन में नए विकास बैंक की स्थापना
नेपाल यात्रा में पशुपतिनाथ मंदिर में पूजा
अमेरिका व चीन से पहले जापान की यात्रा
प्रधानमंत्री
नरेन्द्र
मोदी का २६ मई २०१४ से भारत के १५वें प्रधानमन्त्री का
कार्यकाल राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में आयोजित शपथ ग्रहण के पश्चात
प्रारम्भ हुआ। मोदी के साथ ४५ अन्य मन्त्रियों ने भी समारोह में पद और
गोपनीयता की शपथ ली।प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी सहित कुल ४६ में से ३६
मन्त्रियों ने हिन्दी में जबकि १० ने अंग्रेज़ी में शपथ ग्रहण की। समारोह
में विभिन्न राज्यों और राजनीतिक पार्टियों के प्रमुखों सहित सार्क देशों
के राष्ट्राध्यक्षों को आमंत्रित किया गया। इस घटना को भारतीय राजनीति की
राजनयिक कूटनीति के रूप में भी देखा जा रहा है।
सार्क देशों के जिन प्रमुखों ने समारोह में भाग लिया उनके नाम इस प्रकार हैं।
- अफ़्गानिस्तान – राष्ट्रपति हासिल करज़ई
- बांग्लादेश – संसद की अध्यक्ष शिरीन शर्मिन चौधरी
- भूटान – प्रधानमन्त्री शेरिंग तोबगे
- मालदीव – राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन अब्दुल गयूम
- मॉरिशस – प्रधानमन्त्री नवीनचन्द्र रामगुलाम[
- नेपाल – प्रधानमन्त्री सुशील कोइराला
- पाकिस्तान – प्रधानमन्त्री नवाज़ शरीफ़
- श्रीलंका – प्रधानमन्त्री महिन्दा राजपक्षे
ऑल इण्डिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (अन्ना द्रमुक) और राजग का घटक दल मरुमलार्ची द्रविनरेन्द्र मोदी का २६ मई २०१४ से भारत के १५वें प्रधानमन्त्री का कार्यकाल राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में आयोजित शपथ ग्रहण के पश्चात प्रारम्भ हुआ। मोदी के साथ ४५ अन्य मन्त्रियों ने भी समारोह में पद और गोपनीयता की शपथ ली। प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी सहित कुल ४६ में से ३६ मन्त्रियों ने हिन्दी में जबकि १० ने अंग्रेज़ी में शपथ ग्रहण की। समारोह में विभिन्न राज्यों और राजनीतिक पार्टियों के प्रमुखों सहित सार्क देशों के राष्ट्राध्यक्षों को आमंत्रित किया गया। इस घटना को भारतीय राजनीति की राजनयिक कूटनीति के रूप में भी देखा जा रहा है।
सार्क देशों के जिन प्रमुखों ने समारोह में भाग लिया उनके नाम इस प्रकार हैं।
- अफ़्गानिस्तान – राष्ट्रपति हामिद करज़ई
- बांग्लादेश – संसद की अध्यक्ष शिरीन शर्मिन चौधरी
- भूटान – प्रधानमन्त्री शेरिंग तोबगे
- मालदीव – राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन अब्दुल गयूम
- मॉरिशस – प्रधानमन्त्री नवीनचन्द्र रामगुलाम
- नेपाल – प्रधानमन्त्री सुशील कोइराल
- पाकिस्तान – प्रधानमन्त्री नवाज़ शरीफ़
- श्रीलंका – प्रधानमन्त्री महिन्दा राजपक्षे
ऑल
इण्डिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (अन्ना द्रमुक) और राजग का घटक
दल मरुमलार्ची द्रविड़ मुनेत्र कझगम(एमडीएमके) नेताओं ने नरेन्द्र मोदी
सरकार के श्रीलंकाई प्रधानमंत्री को आमंत्रित करने के फैसले की आलोचना की।
एमडीएमके प्रमुख वाइको ने मोदी से मुलाकात की और निमंत्रण का फैसला बदलवाने
की कोशिश की जबकि कांग्रेस नेता भी एमडीएमके और अन्ना द्रमुक आमंत्रण का
विरोध कर रहे थे। श्रीलंका और पाकिस्तान ने भारतीय मछुवारों को रिहा किया।
मोदी ने शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित देशों के इस कदम का स्वागत किया।
इस
समारोह में भारत के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को आमंत्रित किया गया
था। इनमें से कर्नाटक के मुख्यमंत्री,सिद्धारमैया (कांग्रेस) और केरल के
मुख्यमंत्री, उम्मन चांडी(कांग्रेस) ने भाग लेने से मना कर दिया। भाजपा
और कांग्रेस के बाद सबसे अधिक सीटों पर विजय प्राप्त करने वाली तमिलनाडु
की मुख्यमंत्री जयललिता ने समारोह में भाग न लेने का निर्णय लिया
जबकि पश्चिम बंगाल के मुख्यमन्त्री ममता बनर्जी ने अपनी जगह मुकुल
रॉय औरअमित मिश्रा को भेजने का निर्णय लिया।
वड़ोदरा
के एक चाय विक्रेता किरण महिदा, जिन्होंने मोदी की उम्मीदवारी प्रस्तावित
की थी, को भी समारोह में आमन्त्रित किया गया। अलवत्ता मोदी की माँ हीराबेन
और अन्य तीन भाई समारोह में उपस्थित नहीं हुए, उन्होंने घर में ही टीवी पर
लाइव कार्यक्रम देखा।
भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण उपाय
- योजना आयोग की समाप्ति की घोषणा।
- समस्त भारतीयों के अर्थव्यवस्था की मुख्य धारा में समावेशन हेतु प्रधानमंत्री जन धन योजना का आरंभ।
- रक्षा उत्पादन क्षेत्र में विदेशी निवेश की अनुमति
भारत के अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध
ड़
मुनेत्र कझगम(एमडीएमके) नेताओं ने नरेन्द्र मोदी सरकार के श्रीलंकाई
प्रधानमंत्री को आमंत्रित करने के फैसले की आलोचना की।एमडीएमके प्रमुख
वाइको ने मोदी से मुलाकात की और निमंत्रण का फैसला बदलवाने की कोशिश की
जबकि कांग्रेस नेता भी एमडीएमके और अन्ना द्रमुक आमंत्रण का विरोध कर रहे
थे।श्रीलंका और पाकिस्तान ने भारतीय मछुवारों को रिहा किया। मोदी ने शपथ
ग्रहण समारोह में आमंत्रित देशों के इस कदम का स्वागत किया।
इस
समारोह में भारत के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को आमंत्रित किया गया
था। इनमें से कर्नाटक के मुख्यमंत्री,सिद्धारमैया (कांग्रेस) और केरल के
मुख्यमंत्री, उम्मन चांडी(कांग्रेस) ने भाग लेने से मना कर दिया। भाजपा
और कांग्रेस के बाद सबसे अधिक सीटों पर विजय प्राप्त करने वाली तमिलनाडु
की मुख्यमंत्री जयललिता ने समारोह में भाग न लेने का निर्णय लिया
जबकि पश्चिम बंगाल के मुख्यमन्त्री ममता बनर्जी ने अपनी जगह मुकुल
रॉय औरअमित मिश्रा को भेजने का निर्णय लिया।
वड़ोदरा
के एक चाय विक्रेता किरण महिदा, जिन्होंने मोदी की उम्मीदवारी प्रस्तावित
की थी, को भी समारोह में आमन्त्रित किया गया। अलवत्ता मोदी की माँ हीराबेन
और अन्य तीन भाई समारोह में उपस्थित नहीं हुए, उन्होंने घर में ही टीवी पर
लाइव कार्यक्रम देखा।
भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण उपाय
- योजना आयोग की समाप्ति की घोषणा।
- समस्त भारतीयों के अर्थव्यवस्था की मुख्य धारा में समावेशन हेतु प्रधानमंत्री जन धन योजना का आरंभ।
- रक्षा उत्पादन क्षेत्र में विदेशी निवेश की अनुमति
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